हिन्दू मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी अलग अलग क्यों है कभी आपने सोचा है इस बारे में?
ये post मैं इसलिए लिख रहा हूँ,क्योंकि मैं देख रहा हूँ।समाज में किस तरह लोगों के बीच दूरियां बढ़ गयी है।उसका कारण धर्म है।अलग अलग धर्म के होने कारण लोगों के बीच मतभेद बढ़ते रहता है।एक धर्म का इंसान दूसरे धर्म वालों कभी साथ नही देगा।वो अपने धर्म को ही सर्वोत्तम मानेगा।वो दूसरे धर्म के लोगों को भी अपने धर्म में परिवर्तन करवाने का सोचेगा।
जब इंसान की उतपत्ति हुई तब उस समय कोई धर्म नही था।क्योंकि इंसान के बुद्धि का विकास नही हुआ था।धीरे धीरे जब इंसान के बुद्धि का विकास हुआ,तब वो अपने रहन सहन में भी बदलाव लाए।साथ ही पाषाण युग से आधुनिक में आ गए। जिससे उनके बुद्धि का विकास और अधिक होने लगा।
उस समय प्रकृति द्वारा किए गए किसी भी घटना से वे लोग डर जाते थे।जैसे बिजली चमकना,भूकंप आना या जोर जोर से बरसात होने,अंधी तूफान इत्यादि घटनाओं से वे डर जाते थे।और उन्हें लगता था कि कोई बहुत बड़ी शक्ति है,जो उनपर नजर रखे हुए है।और ये सब वही करवा रहा है।साथ उस शक्ति को वो देवता मानने लगे।
इसके बाद जब भी कभी ऐसी घटना होती थी,तो वो लोग डर कर जमीन पर घुटने टेकर माफी मांगने लगते थे।उन्हें लगता था कि शायद देवता नाराज है,इसलिए ऐसा करवा रहे हैं।ऐसे ही धीरे धीरे युग बदलता रहा मगर लोगों के अंदर का डर ज्यो का त्यों बना रहा।
आगे चलकर कुछ बुद्ध जीवियों ने इंसान के इस डर का फायदा उठाते हुए देवी देवता का नाम लेकर धर्म बना दिया। धर्म के नाम पर लोगों डराना शुरू कर दिया। और उनको लूटना शुरू कर दिया। मंदिर ,मस्जिद और चर्च बनवाने लगे ताकि वे पैसे कमा सके और अपनी जिंदगी आराम से जी सके।
मेरे इस video से काफी लोगों बुरा लग सकता है।एक बुद्ध जीवी इंसान की तरह मेरी बात सुनेगे उसपर विचार करेंगे आपको सब कुछ समझ मे आ जायेगा।जो सच्चाई वो मैं बता रहा हुँ।मेरा उद्देश्य किसी को ठेस पहचान नही है।
कभी अपने सोचा है,कि हिंदुओं के देवता अपना चमत्कार यूरोप के देशों क्यों नही दिखाए या अरब के देशों क्यों नही दिखाए।
या मुस्लिम जिसे अपना भगवान मानते है, वो अपना चमत्कार एशिया के देशों में दिखाने क्यों नही आये? या यूरोप के देशों में क्यों नही गए? यही नियम ईसाईयों पर भी लागू होता है। उनके भी भगवान दूसरे देशों में अपना चमत्कार क्यों नही दिखाए?
इन सबका सिर्फ एक ही कारण है।उस समय लोग सिर्फ अपने आस पास के देशों को जानते थे । बहुत से देशों की खोज नही हुई थी या उनके बारे में जानकारी नही थी।अगर जैसे आज के समय हम लोग सभी देशों के बारे जानते है।उसी तरह धर्म के ठेकेदार भी उस समय इन सभी देशों के बारे में जानते हो,तो जरूर कोई ना कोई कहानी बनाकर लिख देते मगर उस समय लोगों इतनी जानकारी नही थी।
यही कारण है कि भारत में हिन्दू,अरब में मुस्लिम और यूरोप में ईसाई धर्म की उत्पत्ति हुई।फिर दिन पर दिन इन धर्मों का प्रचार प्रसार बढ़ने लगा। जिसके कारण ये पूरी दुनिया में फैल गए।साथ ही इन धर्मों को ना मानने वाले या इनपर सवाल उठाने वालों के प्रति लोगों के मन घृणा भर दी गयी।
ताकि कोई धर्म के ऊपर सवाल ना उठा सके।साथ ही धर्म के ऊपर सवाल उठाने वालों को इस नाम से पुकारते है। हिन्दू धर्म के लिए नास्तिक, मुसलमान के लिए काफिर और ईसाई के लिए Atheist .
क्योंकि मैं हिन्दू धर्म से हूँ, इसलिए मैं आपको बता देना चाहता हूँ अपने बारे में।कि मैं ना नास्तिक हूँ ना आस्तिक हूँ मैं सिर्फ वास्तविक हूँ। वास्तविक जीवन जीता हूँ।
इंसान का सिर्फ एक ही धर्म है,मानवता।मानवता से बड़ा कोई धर्म नही होता।
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