Hello दोस्तों, मैं सर्वशक्ति सिंह आप सभी लोगों का स्वागत करता हूँ।आज मैं आप लोगों के लिए एक नई कहानी लाया हूँ।तो ज्यादा देर न करते हुए,मैं अपनी कहानी आप लोगों को सुनाता हूँ।
एक गरीब आदमी था,जिसका नाम रामू था।जिसे पैसों की बहुत ज्यादा जरूरत थी।वो दिन रात मजदूरी करता था।फिर भी अपने जरूरतों को पूरा नही कर पाता था।
उसका एक छोटा सा बेटा भी था,जिसका नाम रूपेश था।वो अपने बेटे से बहुत प्यार करता था।रूपेश दूसरे बच्चों के साथ क्रिकेट खेलने नही जाता था।क्योंकि जब वह दूसरे बच्चों के साथ खेलने जाता तो सभी बैटिंग कर लेते और जब उसकी पारी आती तो बच्चे उससे झगड़ा करते ।इसलिए वह अपने घर के बाहर ही बैठकर दूसरे बच्चों का खेल देखता था।
एक दिन उसने अपने पापा से कहाँ।
रूपेश :- पापा...पापा..., मुझे भी bat चाहिए।लाकर दे दीजिए ना.....,
रामू :- (थोड़ी देर गंभीर होकर सोचने के बाद बोला।) हाँ...... क्यों नहीं ??? तू कल तक रुक जा।कल शाम को मैं तेरे लिए।bat लेकर आऊँगा।
(इतना सुनकर रूपेश खुशी - खुशी बाहर खेलने चला गया।तभी उसकी पत्नी रेणुका बोली।)
रेणुका :- आपने bat लाने के लिए,तो कह दिया।मगर कहाँ से लाएँगे bat।यहाँ पर खाने के लिए,तो पैसे है ही नहीं...., आप उससे bat लाने के कह दिए?
रामू :- क्या करूँ ...? तू ही बता???आजतक उसने हमसे कुछ नही नही मांग।आज पहली बार उसने कुछ मांग है।इसपर भी मना कर देता तो वो क्या सोचता।हमारा एक ही तो बेटा है।उसकी भी एक छोटी - सी इच्छा पूरी ना कर पाऊँ।तो मेरे इस दुनिया में रहना बेकार है।
रेणुका :- मगर आप कहाँ से लाएँगे बैट?
रामू :- ठीक है...., देखता हूँ कही कोई जुगाड़ लग ही जाए।
( रामू काम करने के लिए घर से निकलता है,कड़ी धूप में दिन भर काम करने के बाद वो अपने मालिक से कहता है।)
रामू :- मालिक ....
रामू का मालिक :- हाँ.... बोल रामू क्या हुआ ???
रामू :- मालिक ...अगर आज कुछ पैसे मिल जाते तो बढ़िया होता।घर में राशन नहीं।जाते - जाते दुकान से कुछ राशन लेते जाता।
( इसपर उसके मालिक ने उसे 300रुपये दिए।रामू उन पैसों को लेकर दुकान पर राशन खरीदने गया।रामू को देखकर दूकानदार बोलता है....)
दूकानदार :- (गुस्से में ) रामू तेरा 800रुपये पहले के बाकी है ना ? कब देगा।
रामू :- ( हाथ जोड़कर) लालाजी दे दूँगा...।
लाला :- जब तू पूरा पैसा चुका देगा ,तब तुझे राशन मिलेगा।
रामू :- ( गिड़गिड़ाते हुए ) ऐसा ना करो लालाजी ,जब पैसे मिलेंगे तो सबसे पहले मैं आपका उधार चुकाऊंगा।
लाला :- मैंने सुना है,कि आज तुझे पैसे मिले हैं।जितने भी मिले हैं।वो सब निकाल।
( रामू अपनी जेब से 200 रुपये निकल कर लाला को देता है।)
रामू :- यही 200 रुपये मिले हैं।
लाला :- ठीक है...ठीक है..., बाकी के भी पैसे जल्दी लौटा देना नहीं तो तू जानता ही है मुझको।
( रामू अपने घर पहुँचता है।तब उसकी पत्नी उससे पूछती है।)
रेणुका :- पैसे लायें???
रामू :- पैसे मिले तो थे...मगर लाला ने ले लिया।और कहाँ है,कि जब तक उसका उधार नही दे दूँगा।तब तक वो राशन नही देगा।
रेणुका :- अब क्या होगा ...???
रामू :- तुम चिंता मत करो।मैंने 100रुपये बचाये है।तुम ये पैसे लेकर जाओ और दूसरे दुकान से राशन लेकर आओ।
( रेणुका जाती है और राशन लेकर आती है।तभी रामू की नजर रूपेश के ऊपर जाती है।और सोचता है ,कि कल उसने वादा किया था।कि दूसरे दिन उसे बैट लेकर देगा।मगर पैसे ना होने के कारण नही ले पाया।अब रूपेश क्या सोचेगा?)
मगर रूपेश ने उससे बैट नही माँगा।वो रामू के पास आ कर कहता है...,
रूपेश :- पापा.... आप काम करके आये हैं, थक गए होंगें।आईये मैं आपका पैर दबा दूँ।
(इतना सुनकर रामू कि दोनों आँखे भर आये।और बोला....)
रामू :- बेटा तू तो बड़ा हो गया।
( रामू ने रूपेश को बैट लाकर तो नही दिया।मगर रूपेश ने भी कभी बैट के बारे में अपने पापा को नही बोला।)
इस कहानी के जरिये हम आपको बताना चाहते हैं, कि जिंदगी में परेशान ना हो आपकी परेशानी दूर करने के लिए।आपके अपने भी इस दुनिया में है।उनके लिए ही सही जिंदगी का पूरा आनंद उठाईये।
एक गरीब आदमी था,जिसका नाम रामू था।जिसे पैसों की बहुत ज्यादा जरूरत थी।वो दिन रात मजदूरी करता था।फिर भी अपने जरूरतों को पूरा नही कर पाता था।
उसका एक छोटा सा बेटा भी था,जिसका नाम रूपेश था।वो अपने बेटे से बहुत प्यार करता था।रूपेश दूसरे बच्चों के साथ क्रिकेट खेलने नही जाता था।क्योंकि जब वह दूसरे बच्चों के साथ खेलने जाता तो सभी बैटिंग कर लेते और जब उसकी पारी आती तो बच्चे उससे झगड़ा करते ।इसलिए वह अपने घर के बाहर ही बैठकर दूसरे बच्चों का खेल देखता था।
एक दिन उसने अपने पापा से कहाँ।
रूपेश :- पापा...पापा..., मुझे भी bat चाहिए।लाकर दे दीजिए ना.....,
रामू :- (थोड़ी देर गंभीर होकर सोचने के बाद बोला।) हाँ...... क्यों नहीं ??? तू कल तक रुक जा।कल शाम को मैं तेरे लिए।bat लेकर आऊँगा।
(इतना सुनकर रूपेश खुशी - खुशी बाहर खेलने चला गया।तभी उसकी पत्नी रेणुका बोली।)
रेणुका :- आपने bat लाने के लिए,तो कह दिया।मगर कहाँ से लाएँगे bat।यहाँ पर खाने के लिए,तो पैसे है ही नहीं...., आप उससे bat लाने के कह दिए?
रामू :- क्या करूँ ...? तू ही बता???आजतक उसने हमसे कुछ नही नही मांग।आज पहली बार उसने कुछ मांग है।इसपर भी मना कर देता तो वो क्या सोचता।हमारा एक ही तो बेटा है।उसकी भी एक छोटी - सी इच्छा पूरी ना कर पाऊँ।तो मेरे इस दुनिया में रहना बेकार है।
रेणुका :- मगर आप कहाँ से लाएँगे बैट?
रामू :- ठीक है...., देखता हूँ कही कोई जुगाड़ लग ही जाए।
( रामू काम करने के लिए घर से निकलता है,कड़ी धूप में दिन भर काम करने के बाद वो अपने मालिक से कहता है।)
रामू :- मालिक ....
रामू का मालिक :- हाँ.... बोल रामू क्या हुआ ???
रामू :- मालिक ...अगर आज कुछ पैसे मिल जाते तो बढ़िया होता।घर में राशन नहीं।जाते - जाते दुकान से कुछ राशन लेते जाता।
( इसपर उसके मालिक ने उसे 300रुपये दिए।रामू उन पैसों को लेकर दुकान पर राशन खरीदने गया।रामू को देखकर दूकानदार बोलता है....)
दूकानदार :- (गुस्से में ) रामू तेरा 800रुपये पहले के बाकी है ना ? कब देगा।
रामू :- ( हाथ जोड़कर) लालाजी दे दूँगा...।
लाला :- जब तू पूरा पैसा चुका देगा ,तब तुझे राशन मिलेगा।
रामू :- ( गिड़गिड़ाते हुए ) ऐसा ना करो लालाजी ,जब पैसे मिलेंगे तो सबसे पहले मैं आपका उधार चुकाऊंगा।
लाला :- मैंने सुना है,कि आज तुझे पैसे मिले हैं।जितने भी मिले हैं।वो सब निकाल।
( रामू अपनी जेब से 200 रुपये निकल कर लाला को देता है।)
रामू :- यही 200 रुपये मिले हैं।
लाला :- ठीक है...ठीक है..., बाकी के भी पैसे जल्दी लौटा देना नहीं तो तू जानता ही है मुझको।
( रामू अपने घर पहुँचता है।तब उसकी पत्नी उससे पूछती है।)
रेणुका :- पैसे लायें???
रामू :- पैसे मिले तो थे...मगर लाला ने ले लिया।और कहाँ है,कि जब तक उसका उधार नही दे दूँगा।तब तक वो राशन नही देगा।
रेणुका :- अब क्या होगा ...???
रामू :- तुम चिंता मत करो।मैंने 100रुपये बचाये है।तुम ये पैसे लेकर जाओ और दूसरे दुकान से राशन लेकर आओ।
( रेणुका जाती है और राशन लेकर आती है।तभी रामू की नजर रूपेश के ऊपर जाती है।और सोचता है ,कि कल उसने वादा किया था।कि दूसरे दिन उसे बैट लेकर देगा।मगर पैसे ना होने के कारण नही ले पाया।अब रूपेश क्या सोचेगा?)
मगर रूपेश ने उससे बैट नही माँगा।वो रामू के पास आ कर कहता है...,
रूपेश :- पापा.... आप काम करके आये हैं, थक गए होंगें।आईये मैं आपका पैर दबा दूँ।
(इतना सुनकर रामू कि दोनों आँखे भर आये।और बोला....)
रामू :- बेटा तू तो बड़ा हो गया।
( रामू ने रूपेश को बैट लाकर तो नही दिया।मगर रूपेश ने भी कभी बैट के बारे में अपने पापा को नही बोला।)
इस कहानी के जरिये हम आपको बताना चाहते हैं, कि जिंदगी में परेशान ना हो आपकी परेशानी दूर करने के लिए।आपके अपने भी इस दुनिया में है।उनके लिए ही सही जिंदगी का पूरा आनंद उठाईये।
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