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Sarvshakti Singh

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क्या करूँ यारों जिंदगी का गुलाम हूँ।

 थोड़ा हैरान हूँ, थोड़ा परेशान हूँ।

क्या करूँ मैं यारों? 

ज़िंदगी का गुलाम हूँ।


  जो ना चाहूँ वो भी,

मुझको करना पड़े।

अपने अपनो से ही ,

जम के लड़ना पड़े।

ईमानदार होकर भी,

मैं बईमान हूँ।

   क्या करूँ मैं यारों? 

ज़िंदगी का गुलाम हूँ।

     

Old man


दूसरों के लिए जियूँ,

घुट घुट कर मरूँ।

उनकी खुशियों के लिए,

दुःख से भी प्यार करूँ।

घर वालों का ,

मैं ही अभियान हूँ।

   क्या करूँ मैं यारों?

ज़िंदगी का गुलाम हूँ।



अच्छा करूँ तब भी,

लोगों को खटकता रहूँ।

बुरा होने पर भी,

ताने सुनता रहूँ।

औरों का नही,

मैं खुद का सम्मान हूँ।

   क्या करूँ मैं यारों?

ज़िंदगी का गुलाम हूँ।


इस post को video में देखने के लिए यहाँ click करें।

 
Sarvshakti singh

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